Might of Write

Let the words speak

पथ भ्रमित


पथ भ्रमित

पथ भ्रमित हूँ, दिक् की तलाश 
स्वछन्द विचरित  मन की आश
नभ क सीमांत का लक्ष्य साध 
पा लू भाष्कर सा तेज़ प्रताप 

किंचितबाधाओं का व्यवहार जड़वत,
करता मन को व्यथित व् विचलित,
स्वयं संवाद व् भगीरथ प्रयाश,
मढ़ता हैं मुख पर उदित हाश |
मुरली 
(16.09.2017)

Post a Comment

0 Comments