Might of Write

Let the words speak

चौपाईयाँ

(1)
पग-टाप ध्वनि सुना जा तू 
श्रावण सा मेघ बरसा जा तू 
हृदय स्पंदन को चरम श्रृंग पर 
आ नज़दीक पंहुचा जा तू 


(2)
चन्द्रमा की दुधियाली से हो रहा उज्जवल गगन 
दे रहे दस्तक सितारे असीमित नभ को है नमन 
है तलाश उस चन्द्रमा की, आज महाभारत सा रण 
जो है धरा असमर्थ आज, समेटने में कलयुग के जन

Post a Comment

0 Comments